तू सुना कर
उन खामोश होठों को
जिनके चेहरे पर आज झुर्रियाँ रेंगती हैं
तुम्हें पता चल जाएगा कि
खिलखिलाहट से उनकी
सारा शहर खिल जाता था कभी
तू मिला कर उनके उस अतीत से
जिनके ऊपर चलकर तू जवानी के दहलीज तक आया है
तू ढूँढा कर उस वजह को
जब गुस्से से भरा अपने पिता का चेहरा पाता है
वो अनायास ही नहीं आया है
ऐसा उन्हें जिम्मेदारियों ने बनाया हैं
मिलाकर कर उन जिम्मेदारियों से
अपने पिता के और नजदीक हो जाएगा तू
- tanuja tamovenshi
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